
कोरापुट (ओडिशा): गुंडिचा मंदिर में आठ दिवसीय प्रवास के बाद भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन भगवान की बहुदा यात्रा आज बड़े ही भक्तिभाव और परंपरा के साथ संपन्न हुई। यह यात्रा सेमिलिगुड़ा से सुनाबेड़ा स्थित स्वर्णक्षेत्र मंदिर तक निकाली गई।
परंपरानुसार, रथ यात्रा प्रारंभ होने से पहले देवताओं को झूला झुलाया गया और जल का छिड़काव कर रथों को भक्तों ने खींचा। मार्ग में तीनों देवताओं ने अपनी मौसी मां के घर पारंपरिक पोडो पीठा का भोग स्वीकार किया, जो इस यात्रा की एक विशेष रस्म है।
शाम करीब 8:30 बजे रथ स्वर्णक्षेत्र मंदिर के निकट पहुंचा, लेकिन परंपरा के अनुसार मां लक्ष्मी ने नाराज़ होकर मंदिर के द्वार नहीं खोले। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ के बिना बताए नीलाद्री यात्रा पर जाने से लक्ष्मी माता रुष्ट हो जाती हैं। अतः रथ मंदिर के बाहर ही रोक दिया गया।
कल देवता एकादशी के शुभ अवसर पर सुनाबेसा धारण करेंगे, जिसमें उन्हें स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत किया जाएगा। यह दृश्य भक्तों के लिए अत्यंत आस्था और आकर्षण का केंद्र होता है।
इस अवसर पर कोरापुट जिला प्रशासन, स्थानीय समिति एवं पुलिस प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए पुख़्ता प्रबंध किए।